
शामली के जैन मोहल्ला निवासी नीरज गोयल साल 2010 में मुंडेट कलां प्राथमिक विद्यालय नंबर एक में बतौर सहायक अध्यापक नियुक्त हुए। इस समय वे मोहल्ला बरखंडी स्थित प्राथमिक विद्यालय नंबर 10 में प्रधानाध्यापक है। गरीब परिवार के बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए उन्होंने मुहिम चला रखी है। उन्होंने मोहल्ला चौपाल नामांकन भ्रमण के नाम से कार्यक्रम चलाया। स्कूल की छुट्टी के बाद नीरज गोयल मोहल्लों में पहुंचते और वहां ठेले वाले, सब्जी बेचने वाले, रिक्शा चलाकर गुजर बसर करने वाले परिवारों के बीच जाकर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करते हैं। रात में मोहल्लो में मीटिंग कर उन्हें शिक्षा का महत्व बताते हैं। इसी का असर है कि विद्यालय में नामांकन 300 हुआ और ज्यादातर बच्चे रोज स्कूल भी आते हैं।
बच्चों के बीच अपनेपन का अहसास : प्रधानाध्यापक नीरज गोयल बच्चों को हर कदम पर अपनेपन का अहसास कराते हैं। उनसे मित्रवत व्यवहार करते है ताकि उन्हें किसी तरह की कोई कमी महसूस न हो। नीरज गोयल बताते है कि बाल सर्वे के दौरान उन्हें लाहोरी गेट मोहल्ले में एक बच्चा नेत्रहीन मिला।1 उन्होंने उस बच्चे को स्कूल भेजने के लिए अभिभावकों से कहा तो उन्होंने पहले तो मना कर दिया, लेकिन जब उन्होंने उन्हें समझाया तो वे मान गए। प्राथमिक विद्यालय नंबर 6 में जब वे तैनात थे तो उन्हें एक दिव्यांग बच्चा मिला, उसे भी प्रयास कर वे स्कूल लाने में सफल हुए।
स्कूल में शुरु कराईं प्रतियोगिताएं : प्राथमिक विद्यालयों में प्रतियोगिताएं नहीं होंती। इससे बच्चों के अंदर की ङिाझक नहीं दूर होती है। नीरज गोयल ने विद्यालय में समय-समय पर मेहंदी, चित्रकला, भाषण व निबंध आदि प्रतियोगिता शुरु कराईं। पिछले दिनों जनपद स्तरीय प्रतियोगिता में जिले के प्राथमिक विद्यालयों में सिर्फ उनके विद्यालय के बच्चों ने प्रतिभाग किया। महीने के आखिरी शनिवार को उस महीने में जन्मे बच्चों का जन्म दिन विद्यालय में मनाया जाता है। 1बीएसए चंद्रशेखर का कहना है कि नीरज गोयल बेहतर काम कर रहे हैं। अभिभावकों को जागरूक करने के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की तरफ भी ध्यान दे रहे हैं।
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