19 February, 2017

अभी बरकरार रहेगा प्रधानाचार्यो का संकट पांच साल से प्रधानाचार्यो की तैनाती नहीं , चयन बोर्ड में प्रवक्ता एवं स्नातक शिक्षकों का ही हो रहा चयन

अभी बरकरार रहेगा प्रधानाचार्यो का संकट
पांच साल से प्रधानाचार्यो की तैनाती नहीं
 चयन बोर्ड में प्रवक्ता एवं स्नातक शिक्षकों का ही हो रहा चयन

 इलाहाबाद : सूबे के सहायता प्राप्त अशासकीय इंटरमीडिएट व हाईस्कूल कॉलेजों को नियमित प्रधानाचार्य मिलने के अभी कोई आसार नहीं है। पांच साल से प्रदेश के किसी भी कॉलेज को एक भी प्रधानाचार्य नहीं मिला है। चयन बोर्ड की तेजी से उम्मीद जरूर बंधी थी, लेकिन 2016 खाली निकल गया। फिलहाल जून तक प्रधानाचार्यो का प्रकरण हाशिए पर रहेगा। उसके बाद नंबर लग सकता है। यह जरूर है कि 2016 की भर्ती के लिए इस संवर्ग का भी अधियाचन मांगा गया और आगे परीक्षा भी होगी। प्रदेश भर के अशासकीय सहायता प्राप्त कॉलेजों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व स्नातक शिक्षकों के चयन का जिम्मा माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड पर है। चयन बोर्ड ने इसके लिए वर्ष 2011 एवं 2013 में अधियाचन मंगाकर नियुक्ति का प्रयास किया, लेकिन 2011 की भर्ती पर अनियमितता का ऐसा आरोप लगा कि वह उससे उबर नहीं सका है। चयन बोर्ड ने कानपुर मंडल को छोड़कर प्रदेश के बाकी सभी 17 मंडलों के साक्षात्कार भी कराए, लेकिन रिजल्ट निकालने के पहले हाईकोर्ट में चयन को चुनौती दी गई। इसमें कहा गया कि चयन बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष ने गलत तरीके से अपनों को मौका देने के लिए एक नहीं कई बार आवेदन की समय सीमा इसलिए बढ़ाई ताकि उनके करीबी दावेदारी कर सकें। यह भी सवाल उठा कि जब तत्कालीन अध्यक्ष की नियुक्ति ही सही नहीं थी, तब उनके समय हुए साक्षात्कार कैसे ठीक हो सकते हैं। इस पर हाईकोर्ट ने प्रधानाचार्यो की नियुक्ति का रिजल्ट जारी करने पर रोक लगा दी, जो अब तक बरकरार है। जिन शिक्षकों की याचिका पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई उनकी मांग है कि नए सिरे से विज्ञापन जारी करके आवेदन लिए जाएं।उधर, कानपुर मंडल के प्रधानाचार्यो के साक्षात्कार के लिए पिछले दो वर्षो में कई बार तारीखें घोषित हुईं। पहले वह शासन के निर्देश पर टली। फिर अप्रैल-मई 2016 में साक्षात्कार शुरू होने वाला ही था तभी कानपुर नगर के एक कॉलेज ने हाईकोर्ट में यह दलील दी कि जब वह सरकार से कोई लाभ नहीं लेते हैं तो प्रधानाचार्य नियुक्ति चयन बोर्ड क्यों करें? उस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी और साक्षात्कार ही लटक गया। चयन बोर्ड का कहना है कि 2011 के प्रधानाचार्यो का प्रकरण लटकने पर 2013 के अधियाचन पर कोई काम शुरू ही नहीं हो पाया है। अब तक मेरिट नहीं बनी है और न ही अन्य औपचारिकताएं पूरी हो पाई हैं। यह जरूर है कि वर्ष 2016 के लिए जिलों से प्रधानाचार्य पद का अधियाचन मांगा गया। चयन बोर्ड में इधर लगातार प्रवक्ता एवं स्नातक शिक्षकों का चयन हो रहा है। यह प्रक्रिया जून तक अनवरत जारी रहने के आसार हैं। उसके बाद ही प्रधानाचार्यो की बारी आने की उम्मीद है।  
आधे से अधिक पद खाली :
 प्रदेश में अशासकीय सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों की तादाद 4025 है। उनमें से 2159 कॉलेजों के लिए अधियाचन भेजे जा चुके हैं साफ है कि आधे से अधिक विद्यालय प्रधानाचार्य विहीन हैं, जबकि बड़ी संख्या में ऐसे भी स्कूल हैं जहां के अधियाचन भेजे ही नहीं गए।
News Source-Dainik Jagran

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