
प्रदेश सरकार का जोर इधर कुछ वर्षो में
भर्ती-नियुक्तियों पर रहा है। विभिन्न विभागों में भर्तियां और समायोजन आदि
हुए भी हैं। अफसरों ने नौकरी बांटने में जितनी तत्परता दिखाई, उतनी ही
गड़बड़ी भर्तियों में की है। सरकार के निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद के
प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को समायोजित
करने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके तहत एक लाख 37 हजार अभ्यर्थियों को
समायोजित कर दिया गया। प्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं ने इस समायोजन को
हाईकोर्ट में चुनौती दी। 2015 में कोर्ट ने समायोजन को सही नहीं माना और
उसे रद कर दिया। परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक
अध्यापकों की करीब एक लाख भर्तियां हुई हैं। यह नियुक्तियां समय-समय पर
अलग-अलग भर्तियों के जरिये हुई हैं। जिन युवाओं को चयन में मौका नहीं मिला
वह खामियों को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे और न्यायालय ने 2016 में इन भर्तियों
को भी रद किया है। असल में जिन नियमों के तहत भर्तियां की गई हैं वह अमल
में ही नहीं हैं। हाईकोर्ट ने भर्ती में जिन विसंगतियों का जिक्र किया है
उसकी सुनवाई पहले से ही शीर्ष कोर्ट में चल रही है। हाईकोर्ट ने अब उप्र
लोकसेवा आयोग की कृषि तकनीकी सहायक ग्रुप-सी की भर्ती में आरक्षण की
विसंगति पाकर चयन रद किया है
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