04 February, 2017

प्राइमरी शिक्षकों को प्रोन्नति पाने का हक: हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि इंटरमीडिएट एक्ट के तहत बने रेग्युलेशन 7(2)(ए) वित्त पोषित अल्पसंख्यक कॉलेजों के अनुच्छेद 30 के अंतर्गत मिले प्रबंधन के अधिकार के विपरीत नहीं है। इस रेग्युलेशन के तहत कॉलेजों से संबद्ध प्राथमिक स्कूलों के सहायक अध्यापकों की प्रोन्नति का 25 फीसदी कोटा निर्धारित किया गया है। याची अल्पसंख्यक कॉलेज का कहना था कि रेग्युलेशन उसके प्रबंधकीय अधिकारों में हस्तक्षेप है। इसके जवाब में कोर्ट ने कहा है कि यह सभी कॉलेजों पर समान रूप से लागू है। अल्पसंख्यक कॉलेजों को कोई छूट नहीं दी गई है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार को शिक्षक व छात्रों के हित में मानक तय करने का अधिकार है। यदि इसे नहीं लागू किया गया तो कॉलेज की शैक्षिक गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है। कोर्ट ने कहा है कि प्रबंधन अधिकार में कुप्रबंधन का अधिकार शामिल नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अनुच्छेद 16 के तहत प्रोन्नति पाने का मूल अधिकार देता है यदि इसे लागू नहीं किया गया तो यह स्टाफ के शोषण को अनुमति देना होगा। कोर्ट ने कहा है कि राज्य वित्तपोषित कॉलेजों पर रेग्युलेशन लागू होगा। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश डीवी भोसले, न्यायमूर्ति पंकज मित्तल तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पूर्णपीठ ने प्रबंध समिति स्वामी लीला शाह आदर्श सिंधी इंटर कॉलेज, आगरा की याचिका में उठे वैधानिक प्रश्न को निर्णीत करते हुए दिया है। कालेज में आठ एलटी ग्रेड सहायक अध्यापक का पद रिक्त हुआ। जिला विद्यालय निरीक्षक ने रेग्युलेशन के तहत 25 फीसद प्रोन्नति कोटा लागू करने के निर्देश की वैधता को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति एपी साही ने प्रकरण पूर्णपीठ को संदर्भित किया था। jagran

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