12 September, 2017

शिक्षा मित्रों ने जंतर-मंतर धरना प्रदर्शन किया, शिक्षा मित्रों का 14 सितंबर तक जंतर-मंतर पर विरोध

शिक्षामित्र अपने समायोजन को बनाए रखने के लिए आज से देश की राजधानी दिल्ली में धरना देंगे। वे नई दिल्ली में जंतर मंतर पर धरने पर बैठेंगे। शिक्षामित्रों ने अपने धरने को आमरण अनशन में बदलने की चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा है कि यदि सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो वे इसे अनिश्चितकालीन अनशन में तब्दील करेंगे। 11 सितंबर से 14 सितंबर तक ये प्रदर्शन चलेगा।

अभी शिक्षामित्रों को धरने के लिए 4 दिन की अनुमति मिली है। धरने को सफल बनाने के लिए शिक्षामित्र संघ के नेताओं ने जिलों से लेकर गांव तक में शिक्षामित्रों से मुलाकात कर दिल्ली जाने का आह्वान किया। हर जिले में इसकी तैयारी बैठक भी की गई। आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने कहा कि 50 हजार से ज्यादा शिक्षामित्र दिल्ली पहुंच रहे हैं।

वहीं, Shiksha Mitra संघों के बड़े नेता दिल्ली पहुंच चुके हैं। शिक्षामित्रों का समायोजन 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया है। वहीं उन्हें टीईटी पास करने के बाद ही भर्ती में मौका देने की बात भी फैसले में है। लेकिन शिक्षामित्र लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि केन्द्र सरकार कानून में संशोधन कर उन्हें समायोजित कर सकती है। वहीं वे शिक्षक बनने तक समान कार्य, समान वेतन की मांग पर अड़े हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने योगी आदित्यनाथ सरकार के ऋणमोचन कार्यक्रम की प्रशंसा की है। पार्टी ने कहा है कि इस योजना से प्रदेश के लघु और सीमांत किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव आने जा रहा है। इससे किसानों की ना सिर्फ मुश्किलें खत्म होंगी बल्कि वे अपने पैरों पर भी खड़े हो सकेंगे। रविवार को पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी का यह ऐतिहासिक फैसला इस बात के लिए भी याद रखा जाएगा कि किस तरह पहली ही कैबिनेट में योगी सरकार ने कर्ज माफी का ऐलान किया और समाज के हर वर्ग के लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया।

दस हजार रुपये मानदेय से असंतुष्‍ट शिक्षामित्रों ने राजधानी के जंतर मंतर पर विशाल प्रदर्शन किया। तकरीबन सवा लाख शिक्षामित्रों के यहां पहुंचने से आसपास के इलाके में जाम की स्थिति बन गई। ट्रेनों और बसों से इतनी बड़ी संख्या में शिक्षामित्रों के पहुंचने से पुलिस प्रशासन की सांस फूल गई। सुबह आठ बजे ही जंतर मंतर पर हजारों की भीड़ के बाद प्रशासन ने बैरीकेडिंग लगाकर जंतर मंतर के चारों तरफ की सड़कों को अवरुद्ध कर दिया।

शिक्षा मित्रों में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ आक्रोश साफ दिख रहा था।  राजधानी में यूपी के दूर-दूर के इलाकों से शिक्षा मित्र बसों, ट्रेनों और अन्य वाहनों से भरकर जंतर मंतर पर जुटे हैं। जंतर मंतर की सड़क पूरी भर जाने के बाद आसपास के फुटपाथ में भी सभी प्रदर्शन के  लिए बैठ गए। बीती 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने के बाद प्रदेश भर के शिक्षामित्र सड़क पर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 1.36 लाख शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक के रूप में नियमितीकरण को गैरकानूनी ठहरा दिया था।

इसके बाद उन्‍हें योगी सरकार से अच्‍छे वेतन पर शिक्षामित्र के रूप में ही बहाल रखने की उम्‍मीद थी। प्रदेश सरकार की तरफ से आश्वासन के बावजूद कोई कार्यवाही न होने से शिक्षामित्रों में आक्रोश व्याप्त हो गया।

प्रदर्शन में शामिल उत्‍तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के अध्‍यक्ष गाजी इमाम आला ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने बनारस में एक रैली में कहा था कि शिक्षामित्र आत्‍महत्‍या न करें। प्रदेश के शिक्षामित्रों की समस्‍या उनकी अपनी समस्‍या है जिसका समाधान किया जाएगा। आला ने कहा कि यूपी में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद शिक्षामित्रों को कोई पूछ नहीं रहा है। अब तक प्रदेश में करीब 50 शिक्षामित्र आत्‍महत्‍या कर चुके हैं, आगे भी ऐसे हालात बन रहे हैं।

प्रदर्शन में आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने कहा कि तकरीबन एक लाख शिक्षामित्र दिल्ली इकट्ठा हुए हैं। हम चार दिनों तक सभी यहीं प्रदर्शन करेंगे, अगर हमारी मांग नहीं मानी गई तो आगे प्रदर्शन को और तेज करेंगे।

क्या है पूरा मामला
शिक्षामित्रों का समायोजन 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया गया है। वहीं उन्हें टीईटी पास करने के बाद ही भर्ती में मौका देने की बात भी फैसले में है। लेकिन शिक्षामित्र लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि केन्द्र सरकार कानून में संशोधन कर उन्हें समायोजित कर सकती है। वहीं वे शिक्षक बनने तक समान कार्य और समान वेतन की मांग पर अड़े हैं। शिक्षामित्रों का समायोजन अखिलेश सरकार में हुआ था. उनका वेतन 39 हजार रुपये प्रतिमाह तक पहुंच गया था, लेकिन समायोजन रद्द होने के बाद वे फिर से पुराने 35 सौ रुपये के मानदेय पर आ गए जिसे योगी सरकार ने 10 हजार रुपये कर दिया जो शिक्षामित्रों को मान्य नहीं है।

 यूपी के शिक्षा मित्रों ने जंतर-मंतर पर दिया धरना
 दोबारा सहायक अध्यापक बनाने की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश (उप्र) के शिक्षा मित्रों ने सोमवार को जंतर-मंतर पर धरना दिया। यह 14 सितंबर तक जारी रहेगा। इसमें प्रदेश के कई शिक्षक संगठन भी शामिल हुए। इस धरने का आयोजन शिक्षा मित्र संयुक्त मोर्चा, उप्र के तत्वावधान में हुआ।
धरने में शामिल शिक्षा मित्रों ने उत्तर प्रदेश व केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर जल्द सहायक अध्यापक बनाने की मांग की। बता दें कि हाल में 1.72 लाख शिक्षा मित्रों का उप्र सरकार ने 10 हजार रुपये मानदेय तय किया है, जिसका वे विरोध कर रहे हैं। इससे पहले सहायक अध्यापक के तौर पर उन्हें तकरीबन 39 हजार रुपये का मानदेय मिल रहा था।
इस धरने में शामिल शिक्षा मित्र राज किशोर मौर्या का कहना था कि वे लंबे समय से स्कूल में पढ़ा रहे हैं। सहायक अध्यापक से शिक्षा मित्र बनाने से जो मानदेय कम हुआ है, उसका वे भारी विरोध करते हैं।
शिक्षा मित्र संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय संरक्षक शिव कुमार शुक्ला के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक बनाने के नियमों में त्रुटि होने की वजह से इस समायोजन को रद कर दिया था। इसको लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दो बार बातचीत की गई थी। उन्होंने आश्वासन दिया था कि जल्द इस समस्या का समाधान किया जाएगा।
5 सितंबर को कैबिनेट में प्रस्ताव पास कर शिक्षा मित्रों का मानदेय 10 हजार के करीब तय करनागलत है। सरकार समान कार्य के अनुसार समान वेतन दे और सभी को सहायक अध्यापक बनाए। उन्होंने बताया कि 2014 में समाजवादी पार्टी की प्रदेश सरकार ने शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाया था। अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा।





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