लखनऊ। वर्ष 2018-19 से प्रदेश में डीएलएड (बीटीसी) व डीपीएसई
(एनटीटी) पाठ्यक्रमों का संचालन अगले पांच वर्ष तक रोका जा सकता है। इसके
लिए प्रदेश के अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा राज प्रताप सिंह ने एक प्रस्ताव
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को भेजा है जिसमें कहा गया है
कि प्रदेश में मांग के सापेक्ष उपलब्धता चार गुना ज्यादा है, ऐसे में इन
कोसरे को चलाने वाले कालेजों को अनापत्ति प्रमाणपत्र पांच वर्ष तक जारी न
किया जाए।
प्रदेश में निजी क्षेत्र में BTC के 2745 कालेज हैं और
इनमें दो लाख से अधिक सीटें हैं। इतना ही नहीं राज्य सरकार के जिला शिक्षा
एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) में भी बीटीसी की 10550 सीटें हैं, सभी को
मिलाकर 211950 सीटें हैं, जबकि यूपी के सरकारी स्कूलों से हर वर्ष दस हजार
से अधिक शिक्षक ही रिटायर हो पाते हैं। ऐसे में मोटी-मोटी फीस लेकर बीटीसी
कालेज भी प्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढ़ाकर रोजगार की चुनौती
पैदा पर रहे हैं।
एनसीटीई को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि राज्य में पूर्व
से लम्बित सम्बद्धता के 2018-19 के मामलों पर तो विचार होगा, लेकिन बाकी
अगले पांच वर्ष तक किसी भी प्रकार से सम्बद्धता नहीं दी जा सकेगी, इसके लिए
एनसीटीई भी यूपी को लेकर अपनी मान्यता न दे।बीटीसी अभ्यर्थियों की बढ़ती
संख्या का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2017 के लिए 15 अक्टूबर को
प्रस्तावित अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी यूपी) के लिए दस लाख से अधिक
अभ्यर्थियों ने ऑन लाइन पंजीकरण कराया और हर वर्ष दो लाख युवाओं की संख्या
इसमें और बढ़ रही है। ऐसे में राज्य सरकार ने 2018-19 के बाद अगले पांच
वर्ष तक किसी भी बीटीसी कालेज को सम्बद्धता नहीं दिये जाने का निश्चय किया
है।
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