उप्र बोर्ड के हाईस्कूल और इंटर के
अंग्रेजी की पुस्तकों का प्रकाशन भले की शासन स्तर पर लंबित हो लेकिन
अनाधिकृत प्रकाशकों (जो यूपी बोर्ड के प्रकाशक मंडल में नहीं हैं) ने अपनी
किताबें बाजार में उतार दी हैं। पाठ्यक्रम के मामले में भी अभी अंतिम
निर्णय नहीं हो सका है। हालांकि छात्र बाजार में उपलब्ध किताबों से ही पढ़
रहे हैं जबकि बोर्ड सचिव उपयुक्त किताब के बाजार में आने तक इंतजार की बात
कह रहे हैं।
माध्यमिक
शिक्षा परिषद ने कक्षा नौ से 12 तक का अंग्रेजी विषय का सिलेबस एनसीआरटी
पर आधारित करके परिवर्तित कर दिया है। पिछले सत्र में कक्षा नौ और 11 के
अंग्रेजी के पाठ्यक्रम को एनसीईआरटी आधार पर लागू किया गया था। नए सत्र
वर्ष 2021-22 में कक्षा 10 और 12 में एनसीईआरटी आधारित पाठ्यक्रम लागू किया
गया है।
इन किताबों के प्रकाशन पर अभी कोई
निर्णय नहीं हो सका है। बाजार में कक्षा 10 और 12 की एनसीआरटी बेस्ड
किताबों में अंग्रेजी के सिलेबस और सीबीएससी के अंग्रेजी के विषय के सिलेबस
में सभी टॉपिक बदल गए हैं। सभी कवि और लेखक बदल गए हैं। हाईस्कूल के
2020-21 में प्रोज में राइटर रहे हैं सी राजगोपालाचारी, पंडित जवाहरलाल
नेहरू, राधा पवार एवं आर श्रीनिवासन, पोएट्री में पोएट रहे जेम्स रसेल,
लोवेल एच डब्लू लांगफेलो, सरोजनी नायडू आदि नए सिलेबस में नहीं हैं। वहीं,
बाजार में मौजूद किताब में हाई स्कूल के प्रोज में ऐने फ्रैंक, लोकेश
अब्रोल और एंटन चेक शामिल हो गए हैं। इसी प्रकार के इंटर की पुस्तक में
प्रकाशित पाठ्यक्रम में काफी बदलाव है।
राजकीय
महिला इंटर कॉलेज के अंग्रेजी शिक्षक मो. अनीस का कहना है कि सीबीएसई बेस्ड
कोर्स अंग्रेजी पृष्ठभूमि पर ज्यादा आधारित है, जबकि पूर्व में यूपी बोर्ड
के जो लेशन थे, उनमें कहानियां भारतीय पृष्ठभूमि और अंग्रेजी पृष्ठ भूमि
दोनों पर आधारित थीं। बाजार में मौजूद पुस्तकों से बच्चों का पढ़ाया जा रहा
है। वही किताबें बच्चे भी खरीद रहे हैं।
हाईस्कूल
और इंटर में अंग्रेजी और कामर्स का सीबीएसई बेस्ड पाठ्यक्रम इसी सत्र से
पढ़ाया जाना है। यूपी बोर्ड के प्रकाशकों से बात चल रही है। अभी प्रकाशन का
मामला शासन स्तर से लंबित है। बाजार में जो किताबें है वह निजी प्रकाशकों
की हैं। इन्हें माध्यमिक शिक्षा परिषद की मान्यता नहीं है और न यह परिषद
द्वारा स्वीकृत पाठ्यक्रम पर आधारित है। ऐसे में छात्रों से अपील है कि
परिषद द्वारा स्वीकृत किताबें आने तक इंतजार करें।
दिव्यकांत शुक्ल, सचिव, उप्र बोर्ड।
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