फिरोजाबाद।
बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षाधिकारियों की मनमानी सामने आ रही है। सत्र
शुरु होने के पांच माह बाद तक किताबें नहीं पहुंची हैं। दूसरी ओर शासन से
स्कूलों तक किताबें पहुंचाने का बजट दिए जाने के बाद भी शिक्षाधिकारी
शिक्षकों से किताबें ढोने का दबाव बना रहे हैं। इसका शिक्षक संगठन विरोध
करने पर उतर आए हैं। शिक्षाधिकारी और शिक्षक संगठन की आपसी खींचतान के बीच
जूनियर स्कूलों में बच्चे बिना किताबों के पढ़ने को मजबूर हो रहे हैं। एक
सितंबर से प्राइमरी कक्षाएं भी शुरू होने जा रही हैं।
एक
अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरु हो गया था। ऑफलाइन कक्षाओं के नाम पर
खानापूर्ति चलती रही। अब जूनियर विद्यालयों में ऑफलाइन कक्षाओं की शुरुआत
हुई है। इसके बाद भी शिक्षा का माहौल नहीं मिल पा रहा है। क्योंकि किताबें
अभी तक अधिकांश स्कूलों में नहीं पहुंची हैं। शिक्षक संगठनों के मुताबिक आठ
लाख रुपये का बजट किताबें स्कूलों तक पहुंचाने के लिए शासन ने बेसिक
शिक्षा विभाग को भेजा है। हर साल इस बजट को खपा दिया जाता है, मगर किताबें
शिक्षकों को ही ढोने पर मजबूर किया जाता है।
नगर
क्षेत्र के कुछ स्कूलों में किताबें बेसिक शिक्षा विभाग ने पहुंचाई है। मगर
ब्लॉक संसाधन केंद्रों से ही किताबें उठाने का दबाव शिक्षकों पर बनाया जा
रहा है। विरोध करते हुए उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला
उपाध्यक्ष कमलकांत पालीवाल ने कहा कि शिक्षाधिकारी बैठकों में कह रहे हैं
कि शिक्षक ब्लाकों से किताबें उठाएं। लेकिन हम इस बात का विरोध करते हैं।
क्योंकि शासन के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है।
- किताबों को
स्कूलों तक ही पहुंचाया जा रहा है। हम खंड शिक्षाधिकारियों से रिपोर्ट
मांगेंगे कि कितने स्कूलों में किताबें पहुंच गइ हैं। जिन स्कूलों में
किताबें नहीं पहुंची हैं, उनमें आखिर दिक्कतें क्या आ रही हैं।
अंजलि अग्रवाल, बीएसए
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