प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों में एक अक्तूबर से पढ़ाई शुरू हो सकती
है। बाल विकास पुष्टाहार विभाग ने प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। इन
केन्द्रों पर तीन से छह वर्ष तक की उम्र के बच्चों के लिए प्री प्राइमरी की
कक्षाएं नई शिक्षा नीति के तहत शुरू होनी हैं।
प्रदेश
के 1.85 लाख केन्द्रों पर पढ़ाई होनी है। पहले चरण में 1.15 लाख उन
केन्द्रों से शुरुआत होगी जहां केन्द्र स्कूल परिसर में बने हुए हैं। बेसिक
शिक्षा विभाग प्री प्राइमरी के लिए एक प्राइमरी शिक्षक को नोडल बनाएगा। यह
शिक्षक अपनी कक्षाएं देखने के साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रों में चल रही
पढ़ाई पर भी नजर रखेगा। इसके लिए समग्र शिक्षा अभियान, बेसिक शिक्षा विभाग व
बाल विकास पुष्टाहार विभाग मिल कर तैयारी कर रहे हैं। पढ़ाने के लिए
आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और ‘प्ले वे किट’
की खरीद भी हो चुकी है। अभी तक 90 हजार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को
प्रशिक्षित किया जा चुका है। वहीं बाकी बची 30 हजार कार्यकत्रियों का
प्रशिक्षण अक्तूबर में कराने की योजना है। प्राइमरी शिक्षकों का प्रशिक्षण
चालू है।
पाठ्यक्रम तैयार
यूनिसेफ
की किताब पहल को भी राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने प्री
प्राइमरी के लिए तैयार कर दिया है। प्री प्राइमरी के लिए पाठ्यक्रम उम्र के
हिसाब से होगा। तीन से चार साल, चार से पांच वर्ष और पांच से छह वर्ष के
बच्चों के लिए अलग-अलग पाठ्यक्रम होगा।
स्कूल रेडिनेस प्रोग्राम
पांच
से छह वर्ष के बच्चों को कक्षा एक के लिए तैयार करने के लिए स्कूल रेडिनेस
कार्यक्रम चलेगा। तीन महीने के माड्यूल में बुनियादी चीजें सिखाई जाएंगी।
दो मॉड्यूल होंगे। एक में बच्चे पूरे वर्ष पढ़ाई करेंगे, दूसरे में तीन
महीने की तैयारी के साथ बच्चों को प्राइमरी स्कूल में प्रवेश मिलेगा।
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