फतेहपुर : डीबीटी फीडिंग इन दिनों जिले में परिषदीय शिक्षकों के लिए
बड़ी चुनौती बनी हुई है। शासन की तरफ से बढ़ते दबाव के चलते अफसर भी अपने
अधीनस्थों पर दबाव बढ़ाते दिख रहे हैं। प्रतिदिन इस कार्य की समीक्षा की
जाने लगी है। शिक्षकों का कहना है कि यह डीबीटी नहीं बल्कि दबाव बनाओ तकनीक
है। जबरन दबाव डालकर कम्प्यूटर आपरेटरों की बजाए हमसे काम कराया जा रहा
है।
ड्रेस,
जूता मोजा व बैग समेत अन्य सुविधाओं को भौतिक रूप से देने की बजाए इनकी
धनराशि स्कूली बच्चों के खातों में ट्रांसफर करने के लिए इन दिनों
युद्धस्तर पर काम चल रहा है। मजे की बात है कि इसके लिए शिक्षकों को कोई
तकनीकी प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया। शिक्षकों के ही मोबाइल फोन व इंटरनेट
पैक से डीबीटी का काम होने से शिक्षकों के अंदरखाने तगड़ा विरोध है। अब तक
शिक्षक डीबीटी के तकनीकी पहलुओं से भली भांति परिचित नहीं हो पाए हैं। इस
स्थिति में जिले के करीब ढाई लाख बच्चों की डीबीटी फीडिंग त्रुटिरहित होना
बड़ा काम है।
कुछ होमवर्क या रिहर्सल तो कराते
शिक्षकों
का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर फीडिंग कराने से पहले शिक्षकों का
आफलाइन ट्रेनिंग सत्र आयोजित करना बेहद जरूरी था ताकि शिक्षकों को डीबीटी
से जुड़े सभी तकनीकी पहलुओं की जानकारी हो जाती। डीबीटी ऐप के संचालन में
ही तमाम दिक्कते हैं। अब तक तमाम शिक्षक मोबाइल नंबर फीड न होने के कारण अब
तक ऐप में लागिन ही नहीं कर पाए।
शिक्षक का ही मोबाइल व इंटरनेट पैक
बिडंबना
यह भी है कि विभाग शिक्षकों के मोबाइल व इंटरनेट खर्च से ही विभागीय कार्य
कराने पर आमादा है। हालात यह हैं कि अपनी निजी जरूरतों व बच्चों की आनलाइन
क्लासेज के लिए मोबाइल डाटा रखने वाले शिक्षकों का तमाम डाटा इसी में खर्च
हो रहा है। शासन स्तर से इस मामले पर नजर रखे जाने के कारण अफसर भी कुछ
सुनने या देखने की स्थिति में नहीं हैं।
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