नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस)
के बच्चों की दशा पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि शिक्षा के अधिकार को
धरातल पर लाना है, तो इन बच्चों के लिए केंद्र व राज्य सरकारें वास्तविक
योजना बनाएं। महामारी के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं के चलते पढ़ाई से दूर रहे इन
बच्चों की सुध लेने की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने कहा, ऐसी ठोस योजना बनानी
होगी, जिससे लंबे समय तक लाभ मिले। तभी शिक्षा का हक सच साबित होगा।
जस्टिस
डीवाई चंद्रचूड़ व जस्टिस बीवी नागरला की पीठ ने शुक्रवार को इस मामले में
दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा अनुच्छेद 21ए का हकीकत बनना बेहद जरूरी
है। जरूरी है कि कमजोर वर्ग के बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ा जाए। पीठ
ने कहा, स्कूलों में आजकल ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है, होमवर्क ऑनलाइन मिलता
है, बच्चों को काम करके वहीं जमा करना होता है। गरीब बच्चे सिर्फ इसलिए ऐसा
नहीं कर पाते कि उनके पास स्मार्टफोन या इंटरनेट नहीं है। ऐसे में शिक्षा
के अधिकार की सभी कवायद बेकार हैं।
बच्चों के बीच असमानता दिल दहलाने जैसी बात
बच्चों
के बीच असमानता दिल दहलाने जैसी है गरीब परिवार बच्चों की पढ़ाई के लिए
लैपटॉप व टैब कैसे लाएंगे? इनके अभाव में बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कैसे करेंगे?
इनकी मां लोगों के घरों में काम करती हैं, पिता गाड़ी चलाते हैं या मजदूरी
करते हैं। आखिर ये लैपटॉप, इंटरनेट कैसे मुहैया कराएंगे। जस्टिस डीवाई
चंद्रचूड़
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