हाथरस। बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों
में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को कई योजनाओं का लाभ दिया जाता है। लेकिन इस
साल से सरकार ने योजनाओं के क्रियान्वयन में बदलाव कर दिया है। अब
अभिभावकों के खातों में योजनाओं का पैसा ट्रांसफर किया गया है। लेकिन
योजनाओं के नाम पर कमीशनखोरी करने वाले सप्लायर अब गांवों में जाकर
अभिभावकों को साधने लगे हैं।
जिले
में 1203 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं। इन विद्यालयों
में पढ़ने वाले करीब सवा लाख विद्यार्थियों को साढ़े चार हजार शिक्षक व
शिक्षिकाएं पढ़ाते हैं। विद्यार्थियों को स्कूल बैग, यूनिफार्म, स्वेटर,
जूते मोजे के अलावा कई अन्य योजनाओं का लाभ दिया जाता है। अभी तक बच्चों को
मिलने वाली योजनाओं का पैसा हेड मास्टर व ग्राम प्रधान के संयुक्त
विद्यालय प्रबंध समिति के खाते में जाता था। योजनाओं के नाम पर कमीशनखोरी
जमकर होती थी। जिससे बच्चों को योजनाओं का सही तरह का लाभ नहीं मिल पाता
था। कमीशनखोरी की शिकायतें जिला स्तरीय अधिकारियों के अलावा शासन पर बैठे
अधिकारियों के पास तक पहुंचती थी। लेकिन अब योजनाओं के क्रियान्वयन के
कार्य में बदलाव कर दिया है। अब सीधे बच्चों के अभिभावकों के खातों में
पैसा ट्रांसफर किया गया है। जिससे अभिभावक अपनी मर्जी से स्कूल बैग,
यूनिफार्म, स्वेटर, जूते मोजे की खरीददारी करेगा। लेकिन इस कार्य में अब भी
कमीशनखोर अपनी दखल देने से बाज नहीं आ रहे। स्कूल बैग, यूनिफार्म, स्वेटर,
जूते मोजे की सप्लाई करने वाले ठेकेदार सीधे गांवों में पहुंचकर अभिभावकों
से संपर्क कर रहे है। जिससे कि स्कूल बैग, यूनिफार्म, स्वेटर, जूते मोजे
की सप्लाई करने के बाद मोटी कमाई की जा सके। इसके लिए कमीशनखोर अभिभावकों
को तरह-तरह के प्रभोलन दे रहे हैं।
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