सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन
बोर्ड की प्रवक्ता संवर्ग (पीजीटी) और प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) -
2021 की परीक्षा में तदर्थ शिक्षक शामिल तो हुए लेकिन सभी को तदर्थ का लाभ
नहीं मिला। वजह यह रही कि कई तदर्थ शिक्षकों का सत्यापन संबंधित जिला
विद्यालय निरीक्षकों ने नहीं किया, जिससे उन्हें भारांक नहीं दिया गया।
परिणाम आया तो वह अनुत्तीर्ण हो गए। कोर्ट ने चयन बोर्ड से पूछा कि अगर
सत्यापन किया गया तो कितने सफल होते? ऐसे तदर्थ शिक्षकों को चयनित मानकर
नियुक्ति दी जाए। इसके बाद चयन बोर्ड ने 18 तदर्थ शिक्षकों को चयनित कर चयन
सूची जारी कर दी।
प्रदेश
के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत तदर्थ शिक्षक
विनियमितीकरण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे। कोर्ट ने उनकी मांग तो
नहीं मानी लेकिन भर्ती परीक्षा में सम्मिलित होने का आदेश दे दिया। चयन
बोर्ड ने सात व आठ अगस्त को टीजीटी की और 17 व 18 अगस्त को पीजीटी की
परीक्षा कराई। इस परीक्षा में तदर्थ शिक्षकों के आवेदन जिला विद्यालय
निरीक्षक को सत्यापित करना था, ताकि निर्धारित भारांक दिया जाता। कई आवेदन
सत्यापित नहीं करने पर बोर्ड ने तदर्थ नहीं माना पक्ष रखने पहुंचे चयन
बोर्ड से सुप्रीम कोर्ट ने सत्यापित न होने वाले तदर्थ शिक्षकों के मामले
में पूछा।
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