प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट के दबाव में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस-2019 व 2020 की प्रारंभिक परीक्षा की अंतिम उत्तरकुंजी बुधवार को जारी कर दिया है, लेकिन उसको लेकर विवाद खत्म नहीं हुआ। कई उत्तरों के विकल्प बदले गए हैं, जबकि अनेक प्रश्न डिलीट हुए हैं। इससे विशेषज्ञों की योग्यता पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है। पीसीएस-2019 के प्रथम प्रश्नपत्र की डी-बुकलेट का 10वां प्रश्न था कि निम्नलिखित में किस जीव का रक्त सफेद होता है? पहले तिलचट्टा को सही माना था।
अब
उसे डिलीट कर दिया है। पीसीएस-2019 के प्रथम प्रश्न पत्र की डी-बुकलेट के
140वें प्रश्न में पूछा गया था कि भारत में नियोजित विकास का विरोध किसने
किया था? पहले विकल्प ए-महात्मा गांधी को सही माने थे। अब उसे डिलीट कर
दिया है। पीसीएस-2019 के द्वितीय प्रश्नपत्र की बी बुकलेट का तीसरा प्रश्न
है-गमला और आलपीन किस भाषा के शब्द हैं? पहले विकल्प ए-फ्रेंच को सही माना
गया। अब विकल्प सी-पुर्तगाली को सही मान रहे हैं। द्वितीय प्रश्न पत्र की
बी-बुकलेट के आठवें प्रश्न में पूछा गया है-पीतांबर में कौन सा समास है?
पहले कर्मधारक समास को सही माना गया था, अब डिलीट कर दिए हैं। इसी प्रकार
पीसीएस-2020 के प्रथम प्रश्न पत्र के ए-बुकलेट के सातवें प्रश्न में पूछा
गया- गरीबी की संस्कृति का विचार प्रस्तुत किया था? पहले आस्कर लुईस को
पहले माना था।
अब
उसे डिलीट कर दिया गया है। प्रथम प्रश्नपत्र की बुकलेट ए-के 81वें प्रश्न
में पूछा गया-मिट्टी बचाओ आंदोलन कहां से शुरू हुआ था? पहले विकल्प
सी-दरभंगा बिहार को सही माना था। अब विकल्प डी-होशंगाबाद मध्य प्रदेश को
सही बता रहे हैं। इसी प्रकार द्वितीय प्रश्नपत्र के ए-बुकलेट के प्रश्न
संख्या 18 में पूछा गया कि जगत+ईश = जगदीश में कौन सी संधि है? पहले विकल्प
सी-व्यंजन को सही बताया गया। अब डिलीट कर दिया है। छात्रों ने पीसीएस की
प्रारंभिक परीक्षा की अंतिम उत्तरकुंजी जारी कराने के लिए हाई कोर्ट में
याचिका दाखिल किया था। अंतिम उत्तरकुंजी जारी किया है। प्रतियोगी छात्र
संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि पीसीएस-2019 प्रथम
प्रश्नपत्र में दो प्रश्नों के उत्तर बदले गए हैं, जबकि आठ प्रश्न डिलीट
हुए हैं। वहीं, पीसीएस-2019 द्वितीय प्रश्न पत्र में पांच प्रश्नों के
उत्तर बदले गए पांच प्रश्नों को डिलीट किया गया।
परिणाम
को देंगे चुनौती अधिवक्ता अनुज मिश्र का कहना है कि आयोग ने समय से अंतिम
उत्तरकुंजी जारी न करके अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया है। अब हाई कोर्ट
में याचिका दाखिल करके परिणाम को चुनौती दी जाएगी।
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