इटावा। बेसिक शिक्षा परिषद के नियंत्रणाधीन एडेड जूनियर हाईस्कूूलों के शिक्षक और कर्मचारियों को पेंशन की टेंशन सता रही है। अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों को काम करते करते 15 से 16 साल तक हो चुके हैं, परंतु उनकी भविष्य निधि का बैलेंस जीरो है। न तो उनका जीपीएफ कट रहा है और न ही एनपीएस की कोई कटौती हो रही है। रिटायरमेंट के बाद शिक्षक खाली हाथ रहेंगे। ऐसे में रिटायरमेंट के बाद उनके भरण-पोषण की चुनौती है। इन शिक्षकों को पुरानी और नई पेंशन से पूरी तरह से वंचित रखा गया है।
जिले
में बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन कुल 47 एडेड जूनियर हाईस्कूल हैं। इन
विद्यालयों में शिक्षकों की सेवा शर्तें बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों की
भांति ही हैं, लेकिन शासन इन विद्यालयों के साथ सौतेला व्यवहार करता है।
जहां परिषदीय विद्यालयों को कायाकल्प योजना से जोड़कर सुविधाओं से सुसज्जित
किया गया है, वहीं इन विद्यालयों को सुविधाओं के विकास के नाम पर एक रुपया
भी नहीं मिलता।
बेसिक शिक्षा परिषदीय विद्यालयों
में कार्यरत शिक्षकों की एनपीएस कटौती शुरू हो चुकी है, परंतु एडेड
स्कूलों के संबंध में शासन का कोई आदेश नहीं आया है। इन विद्यालयों में
करीब 450 शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें आधे से अधिक करीब 250 शिक्षक वर्ष 2005
के बाद नियुक्त हुए हैं। इन शिक्षकों का भविष्य ही अंधकार में है।
सीनियर
बेसिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष नृपेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि एडेड
स्कूलों के शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल करने की मांग भी उठाई
जाती रही है। नई पेंशन योजना के बारे में भी शासन स्तर से प्रयास किया
जाएगा। जल्द शिक्षकों की एनपीएस कटौती प्रारंभ नहीं होती है तो संगठन पहले
अपने जनप्रतिनिधियों के माध्यम से विधानसभा में मामला उठवाएगा। इसके बाद
आंदोलन भी किया जाएगा। सरकार को शिक्षकों के भविष्य को देखते हुए प्रभावी
कदम उठाना चाहिए।
तैयारी पूरी, आदेश का है इंतजार
बेसिक
शिक्षा के वित्त एवं लेखाधिकारी राजकुमार यादव ने बताया कि एडेड स्कूलों
के शिक्षकों और कर्मचारियों के परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (प्रान)
आवंटित किए जा रहे हैं। कार्यालय स्तर से प्रक्रिया पूरी है। जैसे ही शासन
का आदेश मिलेगा एनपीएस की कटौती शुरू कर दी जाएगी।
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