केंद्र सरकार ने
लोकसभा में शुक्रवार को बताया कि देश के सरकारी और निजी स्कूलों के करीब आठ
लाख शिक्षकों को बीएड करने का आखिरी मौका दिया गया है। 31 मार्च 2019 के
बाद बिना बीएड डिग्री के स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों को नौकरी से हाथ
धोना पड़ेगा।
मानव
संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का
अधिकार (संशोधन) बिल, 2017 पर चर्चा के दौरान यह जानकारी दी। जावड़ेकर ने
शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि इस समय निजी स्कूलों में करीब साढ़े पांच
लाख और सरकारी स्कूलों में ढाई लाख शिक्षक जरूरी न्यूनतम योग्यता नहीं रखते
हैं। गैर-प्रशिक्षित अध्यापकों द्वारा पढ़ाया जाना बहुत नुकसानदायक है। ऐसे में 2019 तक सभी कार्यरत शिक्षकों को अनिवार्य न्यूनतम योग्यता हासिल करनी होगी।
⚫ फेल न करने की नीति खत्म करने को बिल जल्द
जावड़ेकर
ने बताया कि आठवीं तक के छात्रों को फेल न करने की नीति खत्म करने के लिए
जल्द ही विधेयक लाया जाएगा। अगर बच्चा मार्च में फेल होता है, तो उसे मई
में एक और अवसर मिलेगा और मई में फेल होने के बाद उसे उस कक्षा में रोक
लिया जाएगा। अनिवार्य शिक्षा बिल को बाद में मंजूरी दे दी गई।
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