नई दिल्ली,अब प्रत्येक स्कूल को स्कूली शिक्षा के एक मानक को पूरा 
करना होगा। सभी राज्यों में गठित होने वाली स्टेट स्कूल स्टैंडर्ड्स 
अथारिटी (ट्रिपल एसए) इस पर नजर रखेगी। साथ ही स्कूलों की हर साल राज्य और 
जिला स्तरीय रैंकिंग भी तैयार करेगी। माना जा रहा है कि इस नई पहल से 
स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती मिलेगी और स्कूलों के बीच 
प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों को दिया टास्क
अभी
 तक इस तरह की रैंकिंग सिर्फ उच्च शिक्षण संस्थानों में ही तैयार की जाती 
है, जिनमें ज्यादातर विश्वविद्यालय और कालेज शामिल हैं। शिक्षा मंत्रालय ने
 फिलहाल सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ट्रिपल एसए के गठन का 
टास्क दे दिया है। इसके तहत सभी राज्यों को इस साल के अंत तक इसका गठन करना
 है। मंत्रालय की योजना वर्ष 2023 से इसे देश के सभी राज्यों में प्रभावी 
तरीके से लागू करना है।
कोविड के चलते हुई देरी
खास
 बात यह है कि इस अथारिटी के दायरे में राज्यों के शिक्षा बोर्ड के जुड़े 
निजी और सरकारी दोनों तरह के स्कूल शामिल होंगे। मंत्रालय के मुताबिक, इस 
पर वैसे तो काम काफी पहले ही शुरू हो जाना था, लेकिन कोविड के चलते इसके 
अमल में देरी हुई है। फिलहाल राज्यों में यह अथारिटी एक स्वतंत्र संस्था के
 रूप में काम करेगी। हालांकि राज्यों में स्थित केंद्रीय विद्यालय और नवोदय
 विद्यालय इसके दायरे में शामिल नहीं होंगे।
ये हैं मापदंड
शिक्षा
 मंत्रालय ने इसके अमल की तैयारियों के साथ स्कूलों के स्टैंडर्ड के लिए 
प्रारंभिक तौर पर जो मापदंड तय किए हैं, उनमें सुरक्षा, मूलभूल ढांचा, सभी 
विषयों के कक्षावार शिक्षकों की संख्या, वित्तीय स्थिति, इनोवेशन व 
प्रैक्टिस क्लास रूम की संख्या, बच्चों के सीखने की क्षमता में सुधार की 
स्थिति और प्रशासनिक क्षमता आदि को शामिल किया है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर फोकस
इन
 सभी जानकारियों को स्कूलों की ओर से ट्रिपल एसए की ओर से तैयार होने वाले 
डिजिटल प्लेटफार्म पर हर साल अपलोड करना होगा। गौरतलब है कि देशभर में 
स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को एक जैसा बनाने और स्कूलों का एक स्टैंडर्ड 
कायम रखने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में की गई सिफारिशों को देखते 
हुए यह कदम उठाया गया है। शिक्षा मंत्रालय का इस समय फोकस नई राष्ट्रीय 
शिक्षा नीति के अमल पर है।

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